'गढ़ी' के रंगों में दिखा मिट्टी से जुड़ाव
मूमल नेटवर्क, जयपुरघर, गांव, मिट्टी से झांकता अपनत्व और पिता के सपनों को पूरा करने का अटल निश्चय, यह सब दिखा बांसवाड़ा निवासी आर्टिस्ट तस्लीमा जमाल की पेंटिंग्स एग्जीबिशन में। जेकेके की सुकृति आर्ट गैलरी में 'गढ़ी' नाम से प्रदर्शित इस सोलो एग्जीबिशन में विभिन्न रंगों और चेहरे के अलग-अलग भावों को एक खास डिजाइन में पेश करते हुए तस्लीमा ने अपनी पेंटिंग्स के माध्यम से अपने देश, गांव के माहौल, खेत- खलिहान, चौपाल, पनघट, पशु- पक्षियों , बड़े-बुजुर्ग और बच्चों को बड़े ही रोचक अंदाज में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। मॉडर्न और ट्रेडिशनल आर्ट डिजाइन को एक कैनवस पर उकेरती इन पेंटिंग्स का मीडियम मुख्य रूप से ऑयल ऑन कैनवस है।
पेंटिंग को एक आर्ट और प्रोफेशन के तौर पर अपनाने वाली तस्लीमा ने बताया कि उनके पिता का यह सपना था कि बड़ी होकर तस्लीमा पेंटिंग्स और रंगों के माध्यम से अपना भविष्य संवारें। वे कहती हैं कि जब वे 12वीं कक्षा में थी, तो उनके पिता का देहावसान हो गया। पिता के चले जाने के बाद उन्होंने यह तय किया कि वे अपने पिता का सपना अवश्य पूरा करेंगी। तस्लीमा की पेंटिंग्स में गांव के रंग दिखाई देते हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण है उनका उनके पिता, परिवार, और गांव के प्रति लगाव।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें