मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान के कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव किरन सोनी गुप्ता के तबादले के बाद इस पद पर आने वाले नए अधिकारी के नामों के कयास लगने लगे हैं। सचिवालय के गलियारों में नए प्रमुख सचिव के लिए फिलहाल तीन नाम चल रहे हैं। देखना यह है कि इनमें से कौन चुना जाता है या सीएमओ से कोई नया चौकाने वाला नाम सामने आता है। उल्लेखनीय है कि किरन सोनी गुप्ता को केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के आधीन मुंबई स्थित टेक्सटाइल कमिश्रर कार्यालय में कमिश्रर के पद पर लगाया गया है।
सचिवालय के गलियारों में कला एवं संस्कृति विभाग के नए प्रमुख सचिव के लिए फिलहाल तीन नाम चल रहे हैं। इनमें मुख्य सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी उमराव सालोदिया का नाम प्रमुख है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें पहले ही जवाहर कला केंद्र के महानिदेशक पद पर लगा कर पहले ही कोई संदेश दे चुकी है। इसके बाद वरिष्ठ आईएएस राजेस्वर सिंह का नाम आ रहा है, वे अभी पर्यटन विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर हैं। इन्हीं के साथ पूर्व में भी कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव पद पर कार्य कर चुकी गुरजोत कौर के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। उल्लेखनीय है मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस विभाग के काम को काफी गंभीरता से ले रहीं हैं। यही कारण है कि अब तक यह विभाग उनहोंने अपने ही पास रखा है।
काफी काम किया
भारतीय प्रशासनिक सेवा में राजस्थान कैडर की अधिकारी किरन सोनी वर्ष 1985 बैच की हैं। एक प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ ही वे पेंटिंग्स भी करती हैं। विभिन्न प्रशासनिक पदों पर व्यस्त रहते हुए भी उन्होंने अपने पेंटिंग्स के काम को बराबर बनाए रखा। इसी के साथ संबंधित क्षेत्रों में पेंटिंग के साथ कला से जुड़ी गतिविधियों को गति देती रही। इसके चलते कला जगत के उदयमान कलाकारों के एक बड़े वर्ग का समर्थन उनके साथ बना रहा। कला संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव पद पर आने के बाद राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई हिस्साों में इनके सहयोग से कला गतिविधियां और तेज हुई। खासकर जयपुर में लिट्रेचर फेस्टिवल की तर्ज पर डिग्गी हाउस में आर्ट फेस्टिवल का भी आगाज हुआ। आयोजन की सफलता या विफलता भले ही बहस या जांच का विषय हो सकती है, लेकिन एक बड़े खर्चे वाले बड़े आयोजन के लिए जितना भी संभव था किया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब ऐसे आयोजनों के लिए कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से 6-6 अंको में सहायता राशि सुलभ कराई गई। ऐसे आयोजनों के प्रति उदासीन रहने वाली अकादमियों को भी आयोजन में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को मानदेय का भुगतान करने के लिए आगे आना पड़ा। कई अन्य को भी सहयोगी या प्रायोजक के रूप में आगे आना पड़ा।
शुष्क क्षेत्र में भी हरियाली
समय - समय पर ओने वाले अन्य आयोजनों मेें इनकी सक्रीय भूमिका भी उल्लेखनीय रही। वह भले ही फेस्को आर्ट के लिए किए शिविर हो या महिला चित्रकारों के लिए किया गया नेशनल केंप, वह चाहे मतदाताओं को जागरुक करने के लिए कलाकारों द्वारा किए गए प्रयास हों या राज्य मेें महानरेगा कार्यो की उपलब्धियों को अपनी पेंटिंग्स के जरिए अन्य राज्यों और विदेश तक पहुंचाने का पुनीत कार्य। एक प्रशासनिक अधिकारी के साथ एक कलाकार होने का धर्म इन्होंने बखूबी निभाया। यही कारण रहा कि वनस्थली विद्यापीठ की एक विद्यार्थी ने किरन सोनी गुप्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध कार्य भी किया। यह बात अलग है कि यह शोधपत्र स्वीकृत नहीं हो रहा। कला एवं संस्कृति जैसे उपेक्षित व शुष्क क्षेत्र को हरियाली दिखाने का श्रेय इन्हीं को जाता है। कला जगत में किरन सोनी गुप्ता का यह कार्यकाल हमेशा याद किया जाता रहेगा।
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