शनिवार, 9 नवंबर 2013

Jaipur Art Summit: Day-3

 पेंटिग्स और क्ले मॉडलिंग की जुगलबंदी
Jatin Das making sketch of Rajendra Mishra.
मूमल नेटवर्क, जयपुर। जयपुर आर्ट समिट का तीसरा दिन लाइव क्ले मॉडलिंग और पेंटिग्स के नाम रहा। होटल क्लार्क आमेर में पदमभूषण चित्रकार जतिनदास का क्ले मॉडलिंग में पोट्रेट बनाया कलाकार राजेंद्र मिश्रा ने। इसे देखने के लिए कलाप्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ी। एक ओर जतिनदास राजेंद्र मिश्रा का रेखाचित्र  तैयार कर रहे थे और दूसरी ओर तैयार हो रहा था खुद उनका क्ले पोट्रेट।
जतिन दास की कला साधना को देखने वाली भीड़ उस समय हतप्रभ रह गई जब उन्होंने देखा कि जतिन दास के ठीक सामने एक और कलाकार मिट्टी से किसी एक चेहरे को मूर्त रूप देने में लगे हुए हैं। जैसे-जैसे चेहरे अपनी शक्ल अख्तियार करती गई तो कलाप्रेमियों के मुंह से बरबस ही निकला अरे वाह, यह तो जतिनदास हैं और क्ले कलाकार राजेंद्र मिश्रा के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान तैर गई। 
दूसरी ओर जतिनदास ने भी दर्शकों को चौंकाया। उन्होंने देखते ही देखते राजेंद्र मिश्रा का एक रेखाचित्र तैयार कर दिया। इस तरह दो कलाकारों द्वारा एक दूसरे के लिए अपनी कला समर्पित करते देख दर्शक भाव विभोर हो गए।
प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप( पैग) की पहले पर गुलाबी नगर में जयपुर आर्ट समिट 11 नव बर तक चलेगी। पैग के प्रेसीडेंट और जयपुर आर्ट समिट के संयोजक आरबी गौतम ने बतायाा कि आने वाले दिनों जयपुर के कलाप्रेमियों को बहुत सी ऐसी कलाकृतियां और कलाओं के बारे में रूबरू होन का मौका मिलेगा जो कला को देखने और समझने में सहायक होंगी। 
(L-R) Johny ML, RB Bhaskaran & Abhay Sardesai at seminar on ' Art Market & its influence on Contemporary Indian Art'
सेमीनार
कला-प्रेम और समर्पण के इस अनूठे भाव के साथ कला समीक्षक अल्का पांडे और उमा नायर ने सेमिनार को दौरान प्रोसपेक्टिव एण्ड डिलायमा ऑफ कॉन्टमपरेरी विजुअल आर्ट के बारे में अपने विचार रखें। कला के इतिहास पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक कलाकार को अपने सृजन के लिए बड़ी दुविधा से गुजरना होता है क्योंकि पुराने दौरे से लेकर आज के समय में कला के क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर शोध और नित नए बदलाव होते रहे हैं। कलाकार अपनी दुविधा को अपने अनुभव, शोध और परिवर्तन के सहारे सृजित करता है। इस विषय की व्या या करने के लिए कला समीक्षक ए.एल दमामी ने अल्का पांडे और उमा नायर के साथ मंच साझा किया।
सेमिनार के दूसरे सत्र में कला समीक्षक जॉनी एमएल ने कला और बाजारवाद की प्रकृति के बारे में बात की। उन्होंने बताया की व्यवसायिक पक्ष कला के लिए कितना जरूरी हैं और कला उससे किस प्रकार प्रभावित हो रही है। वरिष्ठ पत्रकार और कला समीक्षक अभय सरदेसाई ने अपनी बातों में बताया कि कार्टून और ग्राफिक्स का कला में किस तरह उपयोग हो रहा है। इससे होन वाले फायदे और नुकसान पर भी चर्चा हुई।
Hari Om Tanwar working on Cinema Hoarding
जवाहर कला केंद्र
दूसरी ओर जवाहर कला केंद्र में इंस्टालेशन और सिनेमा होर्डिंग को देखने कलाप्रेमी पहुंचे। हरिओम तंवर यहां अपने जमाने की सुपर हिट फिल्म मुगले आजम का पोस्टर तैयार कर रहे हैं। पहले दिन पोस्टर में मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर के चेहरे तैयार हुए हैं। जवाहर कला केंद्र की छहों कलादीर्घाओं में कलाप्रेमियों के लिए एमएफ हुसैन, शूजा, आर.बी भास्करन, पीएन चोयल, प्रणय गोस्वामी सहित कई नामी-गिरामी कलाकारों की पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं।
(समाचार सौजन्य: अनुराग रायजादा )
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