सुकून का एहसास
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शहर के जूझारू कलाकार विनय शर्मा ने अपने जगतपुरा स्थित नये स्टूडियो काम-काज शुरू कर दिया है। पिछले दिनों विनय ने देश के प्रमुख वरिष्ठ कलाकारों को यहां आमंत्रित कर इस नई शुरूआत का साक्षी बनाया।
नामी-गिरामी कलाकार देखेने आए
इस मौके पर चित्रकार जतिन दास, प्रभाकर कोल्टे, आरबी भास्करन, दीपक शिंदे, गोपी गजवानी और मंजू नाथ कामथ सहित करीब 20 चित्रकार उपस्थित थे। स्टूडियो में कलाकारों की शुभकामनाओं के लिए दीवार पर एक विशेष खिड़की नुमा फलक तैयार किया गया था। कलाकारों ने इस कैनवास पर अपने हस्ताक्षर किए और शुभकामना संदेश भी लिखे।
स्टूडियो को दो खण्डों में विभाजित किया गया है। एक जहां विनय पेंटिेग करेंगे, यहां इनकी पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैँ। दूसरा खण्ड विनय के बेहतरीन इंस्टालेशन्स से सजा हुआ है। यह वो जगह है जहां पर किसी भी कलाप्रेमी को घंटों तक रोका जा सकता है। स्वयं आने वाले का मन यहां से बाहर नहीं निकलना चाहेगा।
बीते काल की सैर करवाने में समर्थ
पुरानी बहियों के पन्नों, स्याही की बिखरी टिकिया, पुराने दवात-कलम की महफिल और ऊपर सजे झाडफ़ानूस के साथ संगीत की लहरियों के बीच इतिहास की आलौकिक की सैर करवा देता है। यहीं पर एक कोना करीब सौ साल पुराने एक दर्जन से भी अधिक रेडियो सेट्स से सजाया गया है जो रेडियो इतिहास को जानने-समझने के लिए उत्सुक कर देता है। एक तरफ पुराना चूड़ी बाजा कहाने वाला ग्रामोफोन और उस पर चल रहे रिकार्डस से निकलते गीत के बोल वहीं उसके आस-पास बने रहने को मजबूर कर देते हैं। पुराना हारमोनियम, सितार, पुराने घरों की खिड़की-दरवाजों और फर्नीचर से सजा यह कक्ष इतिहास की गहरी अनुभूतियों के साथ कहीं बीते काल की सैर करवाने में समर्थ हैं।
इंस्टालेशन को मिलेंगे नए आयाम
विनय की भावनाओं से अहसास होता है कि उनका यह कला संसार आने वाले दिनों में एतिहासिक कल्पनाओ के इंस्टालेशन से नित नए इतिहास रचता रहेगा। भागती-दौड़ती-जिन्दगी को सकून देते हुए यहां देर तक ठहरने के लिए मजबूर करती यह दुनियां एक हद तक समय को कुछ देर रोके रखने का सफल प्रयास कहा जा सकता है।
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शहर के जूझारू कलाकार विनय शर्मा ने अपने जगतपुरा स्थित नये स्टूडियो काम-काज शुरू कर दिया है। पिछले दिनों विनय ने देश के प्रमुख वरिष्ठ कलाकारों को यहां आमंत्रित कर इस नई शुरूआत का साक्षी बनाया।
नामी-गिरामी कलाकार देखेने आए
इस मौके पर चित्रकार जतिन दास, प्रभाकर कोल्टे, आरबी भास्करन, दीपक शिंदे, गोपी गजवानी और मंजू नाथ कामथ सहित करीब 20 चित्रकार उपस्थित थे। स्टूडियो में कलाकारों की शुभकामनाओं के लिए दीवार पर एक विशेष खिड़की नुमा फलक तैयार किया गया था। कलाकारों ने इस कैनवास पर अपने हस्ताक्षर किए और शुभकामना संदेश भी लिखे।
स्टूडियो को दो खण्डों में विभाजित किया गया है। एक जहां विनय पेंटिेग करेंगे, यहां इनकी पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैँ। दूसरा खण्ड विनय के बेहतरीन इंस्टालेशन्स से सजा हुआ है। यह वो जगह है जहां पर किसी भी कलाप्रेमी को घंटों तक रोका जा सकता है। स्वयं आने वाले का मन यहां से बाहर नहीं निकलना चाहेगा।
बीते काल की सैर करवाने में समर्थ
पुरानी बहियों के पन्नों, स्याही की बिखरी टिकिया, पुराने दवात-कलम की महफिल और ऊपर सजे झाडफ़ानूस के साथ संगीत की लहरियों के बीच इतिहास की आलौकिक की सैर करवा देता है। यहीं पर एक कोना करीब सौ साल पुराने एक दर्जन से भी अधिक रेडियो सेट्स से सजाया गया है जो रेडियो इतिहास को जानने-समझने के लिए उत्सुक कर देता है। एक तरफ पुराना चूड़ी बाजा कहाने वाला ग्रामोफोन और उस पर चल रहे रिकार्डस से निकलते गीत के बोल वहीं उसके आस-पास बने रहने को मजबूर कर देते हैं। पुराना हारमोनियम, सितार, पुराने घरों की खिड़की-दरवाजों और फर्नीचर से सजा यह कक्ष इतिहास की गहरी अनुभूतियों के साथ कहीं बीते काल की सैर करवाने में समर्थ हैं।
इंस्टालेशन को मिलेंगे नए आयाम
विनय की भावनाओं से अहसास होता है कि उनका यह कला संसार आने वाले दिनों में एतिहासिक कल्पनाओ के इंस्टालेशन से नित नए इतिहास रचता रहेगा। भागती-दौड़ती-जिन्दगी को सकून देते हुए यहां देर तक ठहरने के लिए मजबूर करती यह दुनियां एक हद तक समय को कुछ देर रोके रखने का सफल प्रयास कहा जा सकता है।
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