चर्चा का सूत्रपात जय विश्वकर्मा परम्परागत शिल्प कला विकास समिति के संस्थापक अध्यक्ष आसाराम मेघवाल ने किया है। उनका कहना है कि पुरस्कार के लिए चुने गए लोग सम्बन्धित कला में अपेक्षाकृत कम अनुभवी और दक्ष माने जाते है, जबकि उनकी तुलना में अधिक वरिष्ट और अनुभवी कलाकारों की कृतियाँ पुरुस्कार की दौड़ में शामिल थीं। चर्चा में उनके साथ कुछ वरिष्ट मिनिएचर पेंटिंग आर्टिस्ट भी थे, जिनमे बजरंगलाल सुमन, कैलाश शर्मा और मोहनलाल सोनी शामिल थे। इनमे प्रथम दो कलाकार वे हैं, जिन्होंने इस पुरुस्कार के लिए प्रविष्टी भेजी थी। इन सभी का मानना था की इजन दो कलाकारों को पुरुस्कार के लिए चुना गया है वे इसके योग्य नहीं हैं, क्योंकि वे अपेक्षाकृत कम अनुभवी और दक्ष हैं तथा उनकी प्रविठियाँ उचित माध्यम से नहीं गई हैं। वरिष्ट कलाकारों का ये भी कहना था की पुरुस्कार वितरण का सरकारी रवैया यही रहा तो वे अपनी कला के साथ देशों के गोद चले जायेंगे जो उन्हें अडोप्ट करने को तैयार बैठें हैं।
इस बारे में जब जयपुर में हस्तशिल्प कार्यालय के विकास उपायुक्त शंकरलाल दंगायच से बात की गई तो उन्होंने मूमल को बताया की पुरुस्कार के लिए सरकार की एक आधिकारिक प्रक्रिया है। निर्धारित मापदंड पूरे होने पर श्रेठ कलाकृति को चुना जाता है और उसके रचियता कलाकार को पुरुस्कृत किया जाता है। कलाकार की वरिष्टता या अनुभव की अवधि के आधार पर कलाकृति का चयन नहीं होता। सामान्यतया एंट्री राज्य से होकर केन्द्र सरकार तक जाती है, लेकिन सीधे केन्द्र को भी आवेदन किया जा सकता है। बस कलाकार का सम्बंधित राज्य में पंजीयन होना अनिवार्य है।
3 टिप्पणियां:
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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bahut khub khushi ki baat hai ye painting wakai mei bahut acchi aisi kala ko baar baar naman...
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
बहुत सुंदर ...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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