मूमल नेटवर्क, जयपुर। चित्रकार जगदीश प्रसाद मीणा के चित्रों की प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में दिनांक 7 से 11 दिसम्बर तक होगी। इस प्रदर्शनी के लिए मीणा इन दिनों अपनी खास शैली में ग्रामीण व्यक्ति के जीवन संघर्ष, विकलांग बच्चों की पीड़ा, नारी की गर्भावस्था व वात्सल्य प्रेम से सम्बन्धित विषयों पर पैटिंग तैयार करने मे लगे हुए है।
मीणा अपनी शैली में मानव आकृतियों को जकडऩ व तोड़-मरोड़ कर बनाते है एवं शरीर में नीले रंग का प्रयोग प्रमुखता से करते है। मानव आकृतियों के पूरे शरीर में लम्बे-लम्बे बाल दिखाकर आज के मानव स्वरूप को आदि मानव के जानवर स्वरूप से तुलना करते हैं। मीणा का मानना है कि आज भी गरीबो के साथ अमीर लोग जानवरों से भी बदतर व्यवहार करते है। इसलिए वे अपनी कृतियों में मानव आकृतियों को लम्बी-लम्बी आंखे व आदी मानव की तरह दिखाने की कोशिश करते है।
मीणा दौसा जिले की बसवा तहसील के छोटे से गांव करणावर के रहने वाले है और वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय राजगढ, अलवर में चित्रकला के व्याख्याता के पद पर कार्यरत है।
मीणा अपनी शैली में मानव आकृतियों को जकडऩ व तोड़-मरोड़ कर बनाते है एवं शरीर में नीले रंग का प्रयोग प्रमुखता से करते है। मानव आकृतियों के पूरे शरीर में लम्बे-लम्बे बाल दिखाकर आज के मानव स्वरूप को आदि मानव के जानवर स्वरूप से तुलना करते हैं। मीणा का मानना है कि आज भी गरीबो के साथ अमीर लोग जानवरों से भी बदतर व्यवहार करते है। इसलिए वे अपनी कृतियों में मानव आकृतियों को लम्बी-लम्बी आंखे व आदी मानव की तरह दिखाने की कोशिश करते है।
मीणा दौसा जिले की बसवा तहसील के छोटे से गांव करणावर के रहने वाले है और वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय राजगढ, अलवर में चित्रकला के व्याख्याता के पद पर कार्यरत है।
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