शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010
ये सिंकोले क्या है?
सोमवार, 12 अप्रैल 2010
अनूपम भटनागर का कला जगत
चाचा श्री रामेश्वर नाथ भटनागर की पेंन्टिंग व खूबसूरत हैंडराइटिंग से आकर्षित होकर अनुपम भी पेंन्टिंग करने लगे और चाचा से बाकायदा राइटिंग के गुण सीखे। स्कूल में खेलकूद का ज्यादातर वक्त रंगों से खेलकर ही बीतता था। तीसरी, चौथी कक्षा में पढ़ते हुए ही फूलों, पत्तियों व मसालों के रंग बनाकर सबकों अचम्भित कर देते थे। युवा होते-होते रंगों से छेड़छाड़ के चलते रिश्ता और प्रघाढ़ हुआ। घरवालों के विरोध के बावजूद अपने ड्राईंग अध्यापक की मदद से इस रिश्ते को कायम रखा और इस विधा में उच्च शिक्षा प्राप्त की। इन्हीं दिनों जीवन संगिनी के रूप में नम्रता ने नाता जुड़ा। रंगों से अनुपम के गहरे रिश्तों के बावजूद पिछले पच्चीस बरस से नम्रता जी इनसे बखूबी निभा रही हैं। आगामी 26 मई को वे अपनी शादी की सिलवर जुबली मनाने जा रहे हैं।
बहुत कम लोग जानते हैं कि आज चित्रकला की दुनियां में बड़े दाम वाला बड़ा नाम बन चुके अनुपम भटनागर ने कभी अपनी पढ़ाई, कैनवास रंग व ब्रश का खर्चा निकालने के लिए खूब ट्यूशनस पढ़ाई हैं। एम.ए.के दौरान कॉलेज के छात्र प्रेसिडेन्ट रहने के बावजूद भी खुद को संयमित रखा और व्यर्थ समय न गंवाकर चित्र साधना में लगे रहे और अनुपम बन गए।अनुपम आज अजमेर स्थित डीएवी कॉलेज में ड्राईग प्रोफेसर के रूप में छात्रों के प्रिय अध्यापक है। शिक्षण की जिम्मेदारी निभाने के साथ 'आकार' गु्रप व आर्ट टीचर्स की संस्था वीएएसटी के शीर्ष पदों को सुशोभित कर रहे है। देश-विदेश में इनके चित्रों की अनगिनित एकल व ग्रुप प्रदर्शनियां आयोजित हो चुकी हैं।
लोग इनके बारे में कितना जानते हैं और जानना चाहते हैं इसका अंदाजा केवल इसी से लग जाता है कि इंटरनेट की दुनियां के सबसे बड़े सर्च इंजन 'गूगल' पर हिन्दी में डा. अनुपम भटनागर का नाम टाइप करने पर पहले पृष्ठ के सभी 10 स्थानों पर इन्हीं का वर्णन मिलता है। जाहिर है इस व्यक्तित्व की देखरेख में अब 'मूमल' के ब्लॉग भी 'अनुपम' होंगे।