जयपुर के जेकेके में 12 से चित्र प्रदर्शनी
इटली से निकलकर दुनियां के विभिन्न हिस्सों से होकर भारत आने के बाद डेनिएला की विचलित कला को जिस ठहराव का अहसास हुआ वह इनके काम में स्पस्ट नजर आ रहा है। खासकर राजस्थान के राज महलों से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक का जनजीवन उन्होंने कागज पर जलरंगों से उकेरा और फिर मरुभूमि की ठेठ ग्रामीण कसीदाकारी से जोड़कर अपने भाव व्यक्त कर दिए। डेनिएला की सभी कृतियों में कमोबेश महिलाओं और बच्चों के प्रति उनका अनुराग झलकता है। वे कहती हैं कि बात चाहे इटली की हो या भारत की कुल मिलाकर सोच एक ही है। इसके लिए वे ककविगुरू रवीन्द्रनाथ टैगौर की उस बांग्ला कविता की पंक्तियों को आत्मसात किए हुए हैं जिनका भावार्थ है कि 'भले ही हमारे बीच एक नदी बह रही है, लेकिन इसके दोनों किनारों पर गूंज रहे गीत समान हैं।'
हालांकि डेनिएला ने अपने आर्ट शो को 'एनकांउटर्स' ए ट्रिब्यूट टू इंडिया नाम दिया है, लेकिन यहां एनकाउंटर का अर्थ 'मुठभेड़' न होकर इसका बहुत ही कोमल आशय है...सामना या साक्षात्कार। डेनिएला ने इस साक्षात्कार के लिए भारत को अपनी कूंची से 'शुक्रिया' कहने का भरपूर प्रयास किया है। वैसे भी डेनिएला को हिन्दी के केवल दो ही शब्द आते हैं, शुक्रिया और नमस्ते।
डेनिएला की कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्धाटन शाम 6 बजे जवाहर कला केंद्र के महानिदेशक उमराव सालोदिया करेंगे। यह प्रदर्शनी 15 मार्च तक देखी जा सकती है।