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रविवार, 5 जनवरी 2014

माँ बनाती थी रोटी

माँ बनाती थी रोटी 
पहली गाय की , 
आखरी कुत्ते की
एक बामणी दादी की
एक मेथरानी बाई की
हर सुबह सांड आ जाता था
दरवाज़े पर गुड़ की डली के लिए
कबूतर का चुग्गा
किडियो का आटा
ग्यारस, अमावस, पूर्णिमा का सीधा
डाकौत का तेल
काली कुतिया के ब्याने पर तेल गुड़ का सीरा

सब कुछ निकल आता था
उस घर से , जिसमें विलासिता के नाम पर एक टेबल पंखा था

आज सामान से भरे घर में
कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के