मंगलवार, 2 जून 2009
रंग रसिया- एक चित्रकार की कहानी
'रंग रसिया' पुरातन भारतीय उपन्यास 'राजा रवि वर्मा' पर आधारित है जिसकी रचना प्रसिद्ध उपन्यासकार व लेखक रणजीत देसाई ने की है। यह उपन्यास 19वीं सदी के भारतीय मशहूर चित्रकार राजा रवि वर्मा की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। यह धार्मिक असहनशीलता एवं कट्टरवादियों द्वारा भावनाओं की स्वतंत्रता पर लगी पाबंदी से रूबरू कराती है जो वर्तमान समाज के लिए भी अहम सवाल है। हिंदू देवताओं की नग् तस्वीर चित्रित करने के कारण उन पर अश्लीलता, अनैतिकता एवं जन साधारण की धार्मिक भावनाओं का हनन करने का गंदा व अभद्र आरोप लगाने के साथ उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। एक कलाकार व उसकी प्रेरणा सुगंधा की प्रेम कहानी शुरू होने के साथ ही कोर्ट की प्रक्रियाएं भी शुरू हो जाती है। दोनों मिलकर उत्कृष्ट चित्रों को निर्मित करते हैं या यूं कहें कि सुगंधा की खूबसूरती से प्रेरित होकर ही उन्हें पारंपरिक साहित्य व भारतीय पुराणों पर आधारित चित्रों को बनाने की प्रेरणा मिलती है और उनकी यहीं प्रेरणा अंतत: प्यार बनती है। यह बेहद खूबसूरती व आम फिल्मों की कहानियों से अलग हटकर बनी ऐसी फिल्म हैं जो मशहूर भारतीय कलाकार व समाज सुधारक राजा रवि वर्मा की जिंदगी को चित्रित करती है। राजा रवि वर्मा ने हमेशा यहीं चाहा कि उनकी कला आम आदमी तक पहुंचे। अपनी कल्पना व सृजनात्मकता से वे हिंदू देवी-देवताओं को महलों व मंदिरों की चार दीवारी से बाहर लाएं इस फिल्म में दर्शकों को शेक्सपियर की प्रेम कहानी की झलक भी मिलेगी। यह एक कलाकार व उसकी प्रेरणा के बीच की कहानी, जज्बातों व धोखे की मूल गाथा है। केतन मेहता की यह सराहनीय पहल न सिर्फ भारतीय इतिहास के तमाम पहलुओं को ही उजागर करती है बल्कि समकालीन समाज में एक कलाकार की आजादी, नैतिक नीतियों, सेंसरशिप व धर्म के प्रति असहनशीलता पर भी सवाल उठाती है।
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